मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ धन निर्धन को देत सदाहीं । जो कोई जांचे वो फल पाहीं ॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी । https://franciscofyxsk.wikiexpression.com/3567780/5_essential_elements_for_shiv_chalisa_lyrics_in_hindi_pdf_download